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क्या राज्य सरकारों और राज्य सरकार के कार्यालयों में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों को सही दिशा में कार्यवंत नही करने से देश की प्रगति सम्भव है? बड़ा सवाल!

देशवासियों को प्रदुषण मुक्त वायु, तेज गति और सुखद परिवहन सेवा और अन्य सुविधाएं उपल्ब्ध करवाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा जो भी प्रयत्न किए जा रहें हैं और उनको क्रियान्वित करने के लिए विधि विधान से गैजेट नोटिफिकेशन जारी किए जाते गए हैं पर दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कार्य कर जनता को पर्याप्त इसका फायदे पहुंचाने की जगह पर विराजमान राज्य सरकारें और उन राज्यो में प्रशासनिक पदों पर कार्यरत अधिकारी अपनी सोच को महत्व देने के उद्देश्य से लागू नहीं करते और कुछ जनता को परेशान करने और बड़े उद्योगपतियों को पहुंचाने के लिए गलत ढंग से प्रयोग में लाकर उस का सही फायदा जनता को मिलने नही देते। ऐसे ही कार्यों में स्लगन है दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग दिल्ली जिन्होंने भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी अधिकतर गैजेट नोटिफिकेशन को अपने कार्यकाल में लागू नहीं होने दियाऔर साथ ही माननीय उच्चतम न्यायालय, एनजीटी आदि सभी न्यायिक प्रणाली के दिशा निर्देशों/ आदेशों को दरकीनार कर अपनी इच्छा को कानून बना कर कार्य किए।

अब सवाल यह उठता है कि

क्या जनता के प्रति जारी जनहित के आदेशों को जनता के अहित में प्रयोग करना/ करवाने से देश के अंदर लाई जाने वाली प्रगति/ बदलाव का जनता को कोई भी फायदा पहुंचाने में कामयाब हो सकता हैं। क्या ऐसी सोच और कार्य करने वाले अधिकारियो पर प्रतिबंध लगाए बिना जनता को सुखद, सुरक्षित महसूस करवाया जा सकता हैं ?

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