Politics

क्या RJD और कांग्रेस में सीट शेयरिंग को लेकर तस्वीर होगी साफ? या बिहार में भी टूट जाएगा.

Bihar Politics: लोकसभा चुनाव नजदीक है लेकिन बिहार में सीट को बंटवारे को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इंडिया गठबंधन और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट के बीच गठबंधन तो तय है। लेकिन सीट शेयरिंग पर कांग्रेस बैक फुट नजर आ रही है। खबरों की माने तो आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव कांग्रेस को ज्यादा सीट देने के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं। इसकी वजह से बिहार में सियासी उथल-पुथल मची हुई है। वहीं पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से भी जब दिल्ली में सवाल पूछा, तो उन्होंने हैप्पी होली कहकर मामले को टाल दिया है।

इंडिया महागठबंधन-

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने अपना सीट शेयरिंग फार्मूला पेश कर दिया है। जेडीयू ने अपने सभी प्रत्याशियों के नाम की घोषणा भी कर दी है। लेकिन इंडिया महागठबंधन का अभी कुछ आता पता नहीं है। सीट शेयरिंग ना होने की वजह कांग्रेस की असहमति को बताया जा रहा है। एक तरफ बीजेपी और जेडीयू ने अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है। वहीं दूसरी ओर सीट शेयरिंग का फार्मूला भी अभी तय नहीं हो पाया है।

12 सीटों का दावा-

पहली बातचीत जब शुरू हुई थी तब कांग्रेस ने 12 सीटों का दावा किया था. लेकिन खुद ही धीरे-धीरे 7 से 9 सीटों के बीच में सिमट गए। दूसरी ओर लाल के तेवर यह संकेत दे रहे हैं कि वह ज्यादा सीटें कांग्रेस को देने को तैयार नहीं है। कांग्रेस को इस वक्त आरजेडी जो सीटें ऑफर कर रही है, उनमें से ज्यादातर सिटे सुरक्षित हैं। कांग्रेस को आरजेडी की ओर से इसकी सीटिंग सीट किशनगंज दे दी गई है।

राहुल गांधी की आज आरजेडी के नेताओं से मुलाकात-

इसके अलावा कांग्रेस को सासाराम, समस्तीपुर, पटना साहिब, गोपालगंज जैसी सीट दी जा रही है, जो कि उनके लिए चुनौती वाली मानी जा रही है। बिहार के अध्यक्ष अखिलेश बार-बार लालू और राबड़ी से बात करने के प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अब कांग्रेस को अगर सम्मान जनक सीटें चाहिए तो सोनिया या फिर राहुल गांधी को बात करने की जरूरत है। ऐसा कहा जा रहा है कि दिल्ली में राहुल गांधी की आज आरजेडी के नेताओं से मुलाकात भी हो सकती है। अब देखना यह होगा कि शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत होने के बाद बात बनती है या फिर गठबंधन में दलों की राहें जुदा हो जाती है।

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