DevelopmentIndiaNews

2014- 2023 में हुआ धार्मिक और पर्यटन स्थलों का पुनरुद्धार/नया स्वरूप और सुदृढ़ परिवहन व्यवस्था

भारत देश के तीर्थस्थल आस्था के साथ राष्ट्रीय एकात्मता के आधार हैं। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन से विरासत के प्रति सम्मान का भाव नए भारत की नई आभा को प्रस्तुत कर रहा है।

सन् 2013 में केदारपुरी आपदा की चपेट में थी, लेकिन स्थानीय लोगों के आत्मविश्वास और नरेन्द्र मोदी के दृढ़संकल्प और उनकी प्रेरणा व मार्गदर्शन से आज उत्तराखंड के दोनों तीर्थ श्री केदारनाथ और श्री बद्रीनाथ नए भारत की नई आभा को प्रस्तुत कर रहे हैं। विरासत के प्रति सम्मान का भाव है और लाखों की संख्या में तीर्थयात्री यहां आते हैं, यह हमारे लिए एक नई प्रेरणा है। यह एक नए भविष्य की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है। समयबद्ध ढंग से मानक की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए यहां पर पूरी तत्परता के साथ कार्य हुआ। श्रद्धा का उमड़ता हुआ जनसैलाब भारत की नई तस्वीर को प्रस्तुत करता है। इसमें दृष्टि और दूरदर्शिता है। इसमें पर्यटन और श्रद्धालुजन की जन आस्था का सम्मान का भाव भी है। इसी कार्यकाल में

कैलाश मानसरोवर की यात्रा हुई आसान, उत्तराखंड में पहाड़ों पर तैयार की गई खास सड़क और बनाया ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’

सीमा सड़क संगठन के चीफ इंजीनियर ने कहा कि सड़क कटिंग का कार्य पूरा हो चुका है।

कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले शिवभक्तों के लिए यह बड़ी खुशखबरी है। अब श्रद्धालु भारतीय क्षेत्र से भी कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकेंगे. शिवधाम कहे जाने वाले कैलाश पर्वत जाने के लिए उत्तराखंड के लिपुलेख में तैयार किया गया रास्ता शुरू। अधिकारियों ने बताया पिथौरागढ़ जिले के नाभीढांग में केएमवीएन हट्स से भारत-चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे तक साढ़े 6 किमी. लंबी सड़क पर काम हुआ पूरा बीआरओ के डायमंड प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर विमल गोस्वामी ने कहा, ”हमने नाभीढांग में केएमवीएन हट्स से लिपुलेख दर्रा तक लगभग साढ़े 6 किलोमीटर लंबी सड़क को काटने का काम समय पर पूरा कर दिया” सड़क के किनारे ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ तैयार। भारत सरकार द्वारा हीरक प्रोजेक्ट को ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी.

लिपुलेख दर्रे के माध्यम से कैलाश-मानसरोवर यात्रा, जो कि कोरोना ​​​​महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी, फिर से अभी तक शुरू नहीं हुई है. इतने लंबे स्टॉल ने भक्तों के लिए कैलाश पर्वत तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाने में भारत सरकार के प्रयासों में योगदान दिया। स्थानीय लोगों ने लगाया था रास्ते का पता
दरअसल पिथौरागढ़ जिले में स्थित नाभीढांग में 2 किलोमीटर ऊंची पहाड़ी से तिब्बत में मौजूद कैलाश पर्वत को आसानी से देखा जा सकता है. हालांकि, इसकी जानकारी किसी को नहीं थी, लेकिन स्थानीय लोग जब ओल्ड लिपुपास की पहाड़ी के ऊपर पहुंचे तो वहां से पवित्र कैलाश पर्वत काफी करीब और दिव्य दिखाई दिया. हालांकि, ओल्ड लिलुपास तक पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई चढ़नी पड़ती है जो आसान नहीं है, लेकिन यहां पहुंचने के लिए रास्ता बनाना सुलभ पाया गया इसलिए श्रद्धालुओं की श्रद्धा को देखते हुए यात्रा को आसान बनाने के लिए बनाया गया यह रास्ता।

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पहले 2 मार्ग उपलब्ध थे.
एक सिक्किम के रास्ते और
दूसरा काठमांडू के रास्ते. सिक्किम रूट पर बागडोगरा (दिल्ली से 1,115 किमी) तक उड़ान भरना और उसके बाद 1,665 किमी की सड़क यात्रा और 43 किमी की पैदल परिक्रमा शामिल है. इसमें 1,665 किमी में से केवल 175 किमी की यात्रा भारत में होती है. दूसरा रूट काठमांडू के जरिए था .

इसी कार्यकाल में मां वैष्णो देवी जी के लिए शुरू की गई रेल यात्रा

जाने नई दिल्ली से श्री माता वैष्णो देवी कटरा तक चलाई गई ट्रेनों के बारे में

नई दिल्ली और श्री माता वैष्णो देवी कटरा के बीच 15 ट्रेंने चलती हैं.
मालवा एक्स्प्रेस (12919) जिसका चलने का समय है 04.30 और यह ट्रैन चलती है रोज़।
कोटा जम्मू तवी एक्सप्रेस (19803) जिसका चलने का समय है 23.30,
नई दिल्ली कटरा वन्दे भारत (22439) जिसका चलने का समय है 06.00 बजे और सिर्फ 08.00 घंटे में तय करती है पूरा सफर.

इसी कार्यकाल में शुरू हुई कश्मीर तक रेल सेवा

कश्मीर में जल्द दौड़ेगी ‘वंदे भारत’, मोदी के नेतृत्व में अगले साल मार्च तक 75 वंदे भारत ट्रेनें शुरू करने की योजना है। राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों के विकल्प के रूप में लंबी दूरी के रूटों पर स्लीपर कोचों वाली वंदे भारत ट्रेनों को चलाने के लिए ट्रेने है तैयार। इसी वित्तीय वर्ष के भीतर श्रीनगर में वंदे भारत ट्रेन की सेवाएं शुरू होने की उम्मीद है। इसी के साथ पूर्वोत्तर राज्य की रेलवे लाइन के विद्युतीकृत पूरा हो जाते ही सेमी-हाई स्पीड ट्रेन त्रिपुरा के लोगों को भी सेवा प्रदान करेगी।

इसी काल में वाराणसी को मिलेगी बड़ी सौगात, अब इस रूट पर भी वंदे भारत में स्लीपर कोच की सुविधा

दिल्ली से प्रयागराज होकर वाराणसी तक जाने वाली देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस में स्लीपर कोच लगाने की तैयारी की जा रही है। 100 किमी प्रतिघंटा की औसत गति से चलने वाली इस ट्रेन को अभी दिल्ली से वाराणसी पहुंचने में 769 किमी की दूरी तय करनी होती है और इसमें आठ घंटे लग जाते हैं।

मोदी द्वारा इस कार्यकाल में राममंदिर निर्माण के साथ अयोध्या में करवाया चहुमुखी विकास
भगवान श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी ना हो, इसके लिए अयोध्या में 32 हजार करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं शुरू कर अयोध्या को सुंदरतम नगरी के रूप में विकसित किया और साथ ही अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन को अति आधुनिक स्टेशन के रूप में विकसित किया है। अयोध्या के अंदर मठ-मदिरों का सौंदर्यकरण के साथ फोर लेन और सिक्स लेन मार्गों का निर्माण किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker