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न्यायालय ने समय-समय पर दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए निर्देश दिए हैं

सात नवंबर :- उच्चतम न्यायालय हर साल वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए कई निर्देश जारी करता रहा है। खासतौर पर अक्टूबर और नवंबर के महीनों दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण को लेकर।

शीर्ष न्यायालय द्वारा पारित कुछ प्रमुख टिप्पणियां और निर्देश निम्नलिखित हैं: – – अक्टूबर 2018 में, शीर्ष अदालत ने कहा कि एक अप्रैल, 2020 से देश में भारत चतुर्थ चरण का कोई वाहन बेचा या पंजीकृत नहीं किया जाएगा।

न्यायालय ने कहा कि नए उत्सर्जन मानदंडों को लागू करने में कोई भी देरी नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा क्योंकि प्रदूषण ‘खतरनाक और गंभीर’ स्तर पर पहुंच गया है।

– अक्टूबर 2018 में, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि देश में लोग केवल दिवाली और अन्य त्योहारों पर रात आठ बजे से रात 10 बजे तक पटाखे फोड़ सकते हैं, जबकि केवल ‘हरित पटाखों’ के निर्माण और बिक्री की अनुमति है, जिनमें प्रकाश, ध्वनि और हानिकारक रसायनों का उत्सर्जन कम होता है।

2018 में न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी। साथ ही स्पष्ट किया कि दिल्ली-एनसीआर की सड़कों तय अवधि से पुराने वाहनों को जब्त किया जाएगा।

– 2019 में शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली में न रहना ही बेहतर है जबकि राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण और जाम रोकने को रोकने के उपायों के कार्यान्वयन की कमी पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली ‘गैस चैंबर’ जैसी हो गई है।

2019 में न्यायालय ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में लोग ‘अपने जीवन के अनमोल वर्ष’ खो रहे हैं और ‘भयानक’ प्रदूषण की स्थिति के कारण उन्हें ‘मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता’, जो ‘स्तब्ध करने वाली स्थिति’ को दर्शाता है। शीर्ष अदालत ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को पराली जलाने से रोकने का निर्देश दिया।

-वर्ष 2020 में शीर्ष अदालत ने केंद्र से वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा अब तक उठाए गए कदमों के बारे में उसे अवगत कराने को कहा था।

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