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अटल हरित विद्युत राष्ट्रीय महामार्ग (एएचवीआरएम) योजना के अंर्तगत यमुना व दिल्ली-जयपुर इलेक्ट्रिक हाई-वे तैयारी के करीब

भारत में ऐसे राजमार्ग (हाईवेज) बनाए जा रहे है जिस पर चलते चलते ही हाईब्रिड और इलेक्ट्रिक गाड़ियां चार्ज हो जाएंगी। सरकार सौर ऊर्जा से चलने वाले इलेक्ट्रिक हाईवेज बनाने पर तेजी से काम कर रही है। इन हाईवेज पर चलते चलते हुए ही भारी-भरकम ट्रक और बसें चार्ज हो सकेंगे।

आम हाईवे या एक्सप्रेस-वे पक्की सड़कों से बने होते हैं, जिन पर हर तरह की गाड़ियां दौड़ सकती हैं, वहीं इलेक्ट्रिक हाईवे ऐसे हाईवे होते हैं जिनमें कुछ इक्विपमेंट्स के जरिए ऐसा सिस्टम लगाया जाता है जिससे उन पर गुजरने वाली गाड़ियां चलते चलते ही अपनी बैटरी चार्ज कर सकती हैं। इसके लिए हाईवे पर ओवरहेड वायर या रोड के नीचे से इलेक्ट्रिक फ्लो करने का सिस्टम बना होता है।

इलेक्ट्रिक हाईवे से इलेक्ट्रिक गाड़ियो के साथ साथ हाइब्रिड गाड़ियां भी चार्ज हो सकती हैं। जैसा की आप जानते ही हैं की हाइब्रिड गाड़ियों में पेट्रोल-डीजल के साथ इलेक्ट्रिक से चलने की सुविधा भी उपलब्ध होती है।

इलेक्ट्रिक हाईवे इलेक्ट्रिक सुविधा से लैस ऐसे हाइवे होते हैं, जहां उनके ऊपर से गुजरने वाली गाड़ियों को चलते चलते ही चार्ज किया जा सकता है।

इलेक्ट्रिक हाईवेज पर गाड़ियों की चार्जिंग करने के लिए दो तरीकों का इस्तेमाल होता है-
1. ओवरहेड पावर लाइन यानी रोड के ऊपर लगे इलेक्ट्रिक वायर का इस्तेमाल करके।
2. रोड के अंदर ही पावर लाइन बिछाकर- मतलब ग्राउंड लेवल पावर सप्लाई के जरिए।

इलेक्ट्रिक हाईवेज को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि इसमें गाड़ियों के बीच टक्कर होने या बिजली का झटका लगने का डर नहीं रहता है।

भारत में इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने की योजना 2016 में बनाई गई थी तब सरकार द्वारा यह कहा गया था कि जल्द ही भारत में स्वीडन की तरह इलेक्ट्रिक हाईवे होंगे। भारत ने दुनिया के सबसे लंबे इलेक्ट्रिक हाईवे निर्माण के लिए अटल हरित विद्युत राष्ट्रीय महामार्ग (एएचवीआरएम) योजना की घोषणा की गई थी। इसके तहत सबसे पहले दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस-वे और दिल्ली-आगरा यमुना एक्सप्रेस-वे को इलेक्ट्रिक हाईवे बनाया जा रहा है।

यमुना एक्सप्रेस-वे पर इलेक्ट्रिक हाईवे का ट्रायल दिसंबर 2020 में हो चुका है और दिल्ली-जयपुर हाईवे को इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने के लिए ट्रायल इसी 9 सितंबर 2023 से शुरू हो चुका है, जो एक महीने तक चलेगा। दिल्ली-जयपुर हाई-वे और दिल्ली-आगरा यमुना एक्सप्रेस-वे को मिलाकर करीब 500 किलोमीटर इलेक्ट्रिक हाईवे के जल्द शुरू हो जाने की उम्मीद है। यह देश का पहला और दुनिया का सबसे लंबा इलेक्ट्रिक हाईवे होगा। अभी दुनिया में सबसे लंबा इलेक्ट्रिक हाईवे बर्लिन में है, जिसकी लंबाई 109 किलोमीटर है। सरकार की योजना 1300 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे को भी इलेक्ट्रिक हाई-वे बनाने की है। यह एक्सप्रेस-वे भी जल्द पूरा होने की उम्मीद है। इस एक्सप्रेस-वे पर इलेक्ट्रिक हाईवे की एक अलग से लेन बनाने की योजना है।

इलेक्ट्रिक हाई-वे को दो कारणों से भविष्य बदलने वाली सोच के तौर पर देखा जा रहा है। पहला-इससे फॉसिल्स फ्री मतलब पेट्रोल-डीजल के बिना गाड़ियां चल पाएंगी। दूसरा- इससे वायु प्रदूषण शून्य हो जाता है। प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या है। परिवहन मंत्रालय के अनुसार इलेक्ट्रिक हाईवेज के बनने से हर साल करीब 32 लाख करोड़ लीटर पेट्रोल-डीजल की बचत होगी। साथ ही इससे हर साल देश के लॉजिस्टिक लागत में करीब 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आएगी। इलेक्ट्रिक हाईवेज, सरकार की देश में 26 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे निर्माण की योजना का हिस्सा हैं। सरकार की योजना ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के तहत देशभर के हाईवे के किनारे करीब 3 करोड़ पेड़ लगाने की है।

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